भगवान_विष्णु के चौथे अवतार #नृसिंह #भगवान की जयंती वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को होती है। दिन भगवान विष्णु ने अर्ध-मानव और अर्ध-सिंह रूप में प्रकट होकर अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और अत्याचारी असुर हिरण्यकशिपु का वध किया।
यह दिन अधर्म पर धर्म की विजय और भक्त की सच्ची आस्था का प्रतीक है। इस दिन से जुड़ी कथा कुछ इस प्रकार है कि
हिरण्यकशिपु ने ब्रह्मा जी से वर माँगा था कि वह न दिन में मरे, न रात में, न मनुष्य से, न पशु से, न अस्त्र से, न शस्त्र से, न बाहर, न भीतर आदि। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। जब हिरण्यकशिपु ने उसे मारने का प्रयास किया, तब भगवान #विष्णु #नृसिंह रूप में संध्या समय में, द्वार की देहली पर, अपने नखों से हिरण्यकशिपु का वध कर दिया।
#मंत्र :
उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युर्मृत्युम् नमाम्यहम्॥
#धार्मिक_मान्यताएं:
कहा जाता है कि इस दिन नृसिंह भगवान की आराधना करने से
• काल का भी भय नहीं रहता।
• नृसिंह मंत्र और कवच का नियमित जाप नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
#अन्य_नाम
भगवान नृसिंह को अनेक नामों से पुकारा जाता है:
• उग्रनृसिंह
• लक्ष्मीनृसिंह
• योगनृसिंह
• जलनृसिंह
• भक्ति विघ्ननाशक