उन्होंने कहा कि "शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, उसमें संस्कृति, मर्यादा और विज्ञान का संतुलित समावेश आवश्यक है।"
वीर-वीरांगनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने का स्मरण
पूर्व शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए श्री देवनानी ने बताया कि उन्होंने 200 से अधिक वीर-वीरांगनाओं को पाठ्यक्रम में स्थान दिलाया। उन्होंने कहा, "अकबर को 'महान' बताने वाले अध्याय को हटाकर महान महाराणा प्रताप को स्थान दिया गया।" उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा देने पर ज़ोर देते हुए कहा कि अब ऐसा तंत्र चाहिए जो नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले युवा तैयार करे।
ऑपरेशन सिंदूर: तकनीकी क्षमता का प्रमाण
उन्होंने हाल ही में सफल हुए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए भारत की तकनीकी दक्षता की सराहना की और कहा कि भारतीय तकनीक ने चीनी प्रणालियों को पछाड़ते हुए आतंकवादी ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया। उन्होंने छात्रों से कहा कि "निपुणता केवल व्यक्तिगत सफलता के लिए नहीं, राष्ट्र सेवा के लिए भी होनी चाहिए।"
भारत की प्राचीन वैज्ञानिक विरासत का उल्लेख
श्री देवनानी ने तक्षशिला, नालंदा, अजन्ता-एलोरा और रामायण-महाभारत में वर्णित वैज्ञानिक तथ्यों का उल्लेख करते हुए भारत की प्राचीन वैज्ञानिक समृद्धि को रेखांकित किया।
"देश सर्वोपरि", आलोचकों को दिया जवाब
विदेशों में देश की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "कुछ लोग बाहर जाकर भारत की छवि धूमिल करते हैं, उन्हें आत्ममंथन करना चाहिए। देश रहेगा तो हम रहेंगे। देश सर्वोपरि है।"
उन्होंने यह भी कहा कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह सीमा पर नहीं, तो कम से कम समाज में जागरूक प्रहरी की भूमिका निभाए।
"शिक्षा में संस्कृति, मर्यादा और विज्ञान का समावेश अनिवार्य" – विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी | Photo Source : DIPR
भावनात्मक जुड़ाव की आवश्यकता
उन्होंने कहा कि "भारत एक भावनात्मक राष्ट्र है और आज के AI युग में भी मानवीय संवेदनाएं और भावनात्मक जुड़ाव जरूरी हैं।" प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ की गई 'एक पेड़ मां के नाम' जैसी पहलें इसी भावना का प्रतीक हैं, जो जन-मानस को सैनिकों और राष्ट्र के साथ जोड़ती हैं।
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प
विधानसभा अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों का समर्थन करते हुए कहा, "2014 में भारत 11वीं अर्थव्यवस्था था, आज वह चौथे स्थान पर है। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना केवल प्रधानमंत्री का नहीं, हम सभी का संकल्प होना चाहिए।"
विभिन्न समाजों द्वारा सम्मान
इस दौरान सर्व सिख समाज, सिंधी समाज, वैश्य समाज, पूज्य सिंधी पंचायत और भारतीय सिंधु सभा द्वारा श्री देवनानी का भव्य स्वागत एवं सम्मान किया गया।
समारोह में हनुमानगढ़ विधायक श्री गणेशराज बंसल सहित अनेक जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता एवं नागरिकगण उपस्थित रहे।