बैठक में गौशालाओं को समय पर अनुदान जारी करने, गौशाला की भूमि से अतिक्रमण हटवाने, गौ तस्करी कानून को और अधिक कठोर बनाने, तथा मृत गौमाताओं के शवों के समाधि हेतु अतिरिक्त भूमि आवंटन जैसी मांगों पर गंभीरता से विचार किया गया।
इसके अतिरिक्त, गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई। इनमें ऑर्गेनिक खाद का विपणन सहकारी समितियों के माध्यम से कराने, गौ-अर्क की बिक्री आयुर्वेद विभाग के जरिये सुनिश्चित करने, नई शाखाएं खोलने के नियमों में शिथिलता देने, बछड़ों का नियमानुसार बधियाकरण कराने, तथा नस्ल सुधार हेतु उसी नस्ल के सीमेन के प्रयोग को बढ़ावा देने जैसे सुझाव शामिल थे।
"गौशालाओं में सुधार हेतु गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक सम्पन्न" | Photo Source : DIPR
मंत्री श्री कुमावत ने बैठक के पश्चात सभी मांगों और सुझावों पर विस्तृत विचार-विमर्श करने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि गौशालाओं की समस्याओं के समाधान हेतु राज्य सरकार कटिबद्ध है। उन्होंने बताया कि समय पर अनुदान वितरण के लिए वार्षिक कैलेंडर तैयार किया जाएगा और गौशालाओं की भूमि से अवैध कब्जा हटाने के लिए सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किए जाएंगे।
बैठक में यह भी प्रस्तावित किया गया कि जिला व राज्य स्तरीय गौशाला निगरानी समितियों में दो-दो सदस्यों को शामिल किया जाए, जिस पर राज्य स्तर पर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा।
इस महत्वपूर्ण बैठक में गोपालन विभाग के निदेशक श्री प्रहलाद राय नागा, राजस्थान गौ सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष श्री गोविंद राम शास्त्री, पूर्व अध्यक्ष श्री गोविंद गिरी जी महाराज, श्रीपति धाम गौशाला सिरोही के संचालक गोविंद वल्लभ जी महाराज, रघुनाथ सिंह राजपुरोहित सहित विभाग के अन्य अधिकारी एवं गणमान्यजन उपस्थित रहे।