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Tuesday, October 14, 2025

24JT News Desk / Udaipur /August 3, 2025

जवाहर कला केंद्र में चल रहे मेघ उत्सव के अंतिम दिन रविवार को गुजरात के प्रसिद्ध लोक-सूफी गायक मूरालाला मारवाड़ा की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। कच्छ की धरती से आए इस कलाकार ने कबीर की वाणी को अपनी सधी हुई लोक-सूफी शैली में पिरोकर ऐसा सुरमयी वातावरण रचा कि सभागार देर तक तालियों की गूंज से गूंजता रहा।

"मेघ उत्सव में मूरालाला मारवाड़ा की कबीरवाणी ने रच दिया आध्यात्मिक संगीत का अद्भुत समा" | Photo Source : DIPR
राजस्थान / मेघ उत्सव में मूरालाला मारवाड़ा की कबीरवाणी ने रच दिया आध्यात्मिक संगीत का अद्भुत समा

‘मन लागा मेरे यार फकीरी में’ और ‘झीनी-झीनी बीनी चदरिया’ जैसे कालजयी पदों की प्रस्तुति के साथ जब मूरालाला ने मीरा बाई के भजन गाना शुरू किया, तो पूरा वातावरण भक्तिरस में डूब गया। लोक, सूफी और भक्ति का यह त्रिवेणी संगम दर्शकों के लिए एक अविस्मरणीय सांगीतिक अनुभव साबित हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत से ही सभागार में संगीतप्रेमियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति देखी गई, जो समापन तक डटे रहे। तालियों की लगातार गूंज इस बात का प्रमाण रही कि प्रस्तुति ने श्रोताओं के हृदय को छू लिया।

इस अवसर पर डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान की अध्यक्ष श्रीमती श्रेया गुहा (आईएएस), रेरा चेयरपर्सन श्रीमती वीनू गुप्ता, पूर्व मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता, प्रमुख महालेखाकार श्री सतीश गर्ग, राजीविका की परियोजना निदेशक श्रीमती नेहा गिरी, आईएएस अधिकारी श्रीमती कविता सिंह एवं श्री निशांत जैन सहित अनेक प्रतिष्ठित अतिथि मंचासीन रहे।

श्रीमती श्रेया गुहा ने बताया कि मेघ उत्सव का उद्देश्य मानसून का स्वागत करते हुए राजस्थान की समृद्ध लोक-संस्कृति का उत्सव रूप में प्रदर्शन करना है। दो दिवसीय इस भव्य सांस्कृतिक आयोजन में देशभर से आए नामचीन कलाकारों ने अपने फन का प्रदर्शन किया।

यह आयोजन संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के उत्तरी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (पटियाला), पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (उदयपुर), जवाहर कला केंद्र एवं राजीविका के संयुक्त सहयोग से संपन्न हुआ। इसमें साहित्य, कला, मीडिया, प्रशासन और राजनीति से जुड़े कई गणमान्य लोगों सहित आम नागरिकों ने भी पूरे उत्साह के साथ भाग लिया।

मेघों के स्वागत में रचा गया यह सुरों का उत्सव, श्रोताओं के मन में लंबे समय तक गूंजता रहेगा।

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