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Saturday, December 13, 2025

24JT News Desk / New Delhi /September 3, 2025

रोहतक के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान, पंडित भगवत दयाल शर्मा मेडिकल कॉलेज और दृष्टि विहीनता एवं दृष्टि क्षीणता समिति, स्वास्थ्य विभाग, रोहतक की ओर से राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के तहत आज पंडित नेकीराम शर्मा कॉलेज, रोहतक में एक नेत्रदान जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

हरियाणा / Rohtak News | नेत्रदान: मृत्यु के बाद सबसे उत्तम दान

कार्यक्रम के संयोजक और पूर्व नेत्र अधिकारी दिनेश शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. राजेंद्र चौहान, विभागाध्यक्ष, क्षेत्रीय नेत्र बैंक, मेडिकल कॉलेज, रोहतक थे। विशिष्ट अतिथि डॉ. अशोक राठी, वरिष्ठ प्रोफेसर, क्षेत्रीय नेत्र विभाग, मेडिकल कॉलेज, रोहतक और कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ. लोकेश बल्हारा ने की।

डॉ. अशोक राठी ने नेत्रदान के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि नेत्रदान केवल मृत्यु के बाद ही संभव है। मृत्यु के 6 से 8 घंटे के भीतर नेत्र प्राप्त करना जरूरी होता है, इसलिए समय पर सूचना देना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने लोगों से नेत्रदान के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने और अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने की अपील की।

डॉ. राजेंद्र चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों में आयोजित जागरूकता कार्यक्रमों से नेत्रदान के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। इसके कारण रोहतक का क्षेत्रीय नेत्र संस्थान पूरे देश में चौथे स्थान पर है। उन्होंने बताया कि स्वस्थ कॉर्निया के प्रत्यारोपण के लिए समय पर नेत्र प्राप्त करना जरूरी है। जितनी जल्दी सूचना मिलेगी, उतनी ही जल्दी नेत्र बैंक की टीम नेत्रों को सुरक्षित कर प्रत्यारोपण के लिए तैयार कर सकती है। सूचना किसी भी अस्पताल या 112 नंबर पर दी जा सकती है।

डॉ. चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि नेत्रदान परिवार की सहमति से उनकी इच्छित जगह पर किया जाता है, चाहे वह घर, अस्पताल या कोई अन्य स्थान हो। नेत्रदान और नेत्र प्रत्यारोपण में अंतर होता है, और यह केवल मानव शरीर से प्राप्त नेत्रों से ही संभव है। उन्होंने कहा कि नेत्रदान महादान है और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग और स्वैच्छिक संस्थाएं मिलकर इस दिशा में लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे इस संदेश को अपने घर और गांव तक पहुंचाएं और अधिक से अधिक लोगों को नेत्रदान अभियान से जोड़ें। उन्होंने यह भी बताया कि नेत्रदान के बाद चेहरे पर कोई बदलाव या कुरूपता नहीं आती, और यह प्रक्रिया केवल 10-15 मिनट की होती है, जिससे अंतिम संस्कार में कोई देरी नहीं होती।

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. लोकेश बल्हारा ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से हर घर और गांव तक नेत्रदान जागरूकता का संदेश पहुंचाना एक पुण्य कार्य है। उन्होंने विशेष रूप से छात्राओं से अपील की कि वे इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें, क्योंकि एक लड़की दो परिवारों को रोशन करती है। उन्होंने कॉलेज की ओर से नेत्रदान पखवाड़े में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

समाजसेवी जगत सिंह गिल ने भी नेत्रदान की महत्ता पर प्रकाश डाला और इसे सर्वोत्तम दान बताया। उन्होंने अपनी सामाजिक संस्था की ओर से लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करने का वादा किया।

कार्यक्रम में कॉलेज के एनएसएस यूनिट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. रुचिका, डॉ. ज्योति दलाल, देवेंद्र सिंह बल्हारा, सुमित कुमार, कॉलेज स्टाफ और सैकड़ों एनएसएस स्वयंसेवक मौजूद रहे। मंच संचालन राजेंद्र शर्मा ने किया। कार्यक्रम के अंत में सभी को नेत्रदान प्रतिज्ञा की शपथ दिलाई गई।

पूर्व नेत्र अधिकारी दिनेश शर्मा ने डॉ. राजेंद्र चौहान और डॉ. अशोक राठी के सहयोग की सराहना की और कहा कि एनएसएस स्वयंसेवकों के माध्यम से नेत्रदान जागरूकता को और बढ़ावा मिलेगा।

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