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Sunday, June 8, 2025

Neelam / Udaipur /June 8, 2025

हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे जल विवाद को लेकर मई 03, 2025 को चंडीगढ़ में हरियाणा निवास में मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में हरियाणा के हितों की रक्षा के लिए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें पंजाब सरकार से भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की तकनीकी समिति के 23 अप्रैल 2025 और बीबीएमबी बोर्ड के 30 अप्रैल 2025 के फैसलों को बिना शर्त लागू करने की मांग की गई। साथ ही, हरियाणा के हिस्से के पानी पर लगाई गई "अमानवीय, अनुचित, अवैध और असंवैधानिक" रोक को तुरंत हटाने का आग्रह किया गया।

हरियाणा-पंजाब जल विवाद: मई 03, 2025 को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक
हरियाणा / हरियाणा-पंजाब जल विवाद: मई 03, 2025 को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक, सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित

बैठक में प्रमुख नेताओं की उपस्थिति

बैठक में हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री अनिल विज, श्री रणबीर गंगवा, श्री श्याम सिंह राणा, श्रीमती श्रुति चौधरी, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष श्री मोहन लाल बडौली, कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष श्री उदयभान, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रदेश अध्यक्ष श्री रामपाल माजरा और विधायक श्री आदित्य देवीलाल, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला और पूर्व विधायक श्री अमरजीत ढांडा, आम आदमी पार्टी (आप) के श्री सुशील गुप्ता, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के श्री कृष्ण जमालपुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) के श्री ओमप्रकाश, और मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर उपस्थित रहे।

जल वितरण पर विस्तृत चर्चा और आंकड़े

बैठक के दौरान मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने पिछले 10 वर्षों (21 मई 2015 से 20 अप्रैल 2025) के जल वितरण के आंकड़े प्रस्तुत किए। इन आंकड़ों के अनुसार, पंजाब ने हर वर्ष अपने हिस्से से अधिक पानी का उपयोग किया, जबकि हरियाणा को अपने आवंटित हिस्से से 17% कम पानी प्राप्त हुआ। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्पष्ट किया कि हरियाणा कोई अतिरिक्त पानी की मांग नहीं कर रहा, बल्कि केवल अपने हिस्से के पानी को पूरा करने की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब द्वारा हरियाणा के हिस्से के पानी को रोकना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह हरियाणा की जनता के लिए पीने के पानी के संकट को और गहरा सकता है।

पंजाब का रुख और हरियाणा का जवाब

पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान ने दावा किया है कि हरियाणा ने मार्च 2025 तक अपने कोटे का 103% पानी उपयोग कर लिया है और अब पंजाब के पास अतिरिक्त पानी नहीं है। हालांकि, हरियाणा के नेताओं ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि डैम में पानी का वितरण कोटे के आधार पर नहीं, बल्कि उपलब्धता के आधार पर होता है। बीबीएमबी की तकनीकी समिति ने 23 अप्रैल को हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी (7,000 क्यूसेक हरियाणा, 1,000 क्यूसेक दिल्ली, और 500 क्यूसेक राजस्थान) देने का निर्णय लिया था, जिसे पंजाब ने लागू करने से इनकार कर दिया। इसके जवाब में, पंजाब ने भाखड़ा नहर से हरियाणा को मिलने वाले 9,500 क्यूसेक पानी को घटाकर 4,000 क्यूसेक कर दिया, जिससे हरियाणा के आठ जिलों—कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, और रोहतक—में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई।

सर्वदलीय बैठक का प्रस्ताव और मांग

सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने एक स्वर में पंजाब सरकार के रवैये की निंदा की और इसे राजनीति से प्रेरित बताया। नेताओं ने कहा कि पंजाब सरकार तथ्यों को तोड़-मरोड़कर भ्रामक प्रचार कर रही है। प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया कि हरियाणा केवल अपने हिस्से का पानी मांग रहा है, जिससे न तो पंजाब का पानी कम होगा और न ही डैम में पानी की कमी होगी। नेताओं ने पंजाब सरकार से अपील की कि वह बीबीएमबी के फैसलों को तुरंत लागू करे और हरियाणा के हिस्से के पानी पर लगाई गई रोक को हटाए।

कानूनी और केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग

हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है। जल संसाधन मंत्री श्रीमती श्रुति चौधरी ने कहा कि हरियाणा अपने हक के लिए याचिका दायर करेगा और जल्द से जल्द फैसले की उम्मीद है। इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2 मई को दिल्ली में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों की एक आपात बैठक बुलाई, जिसमें बीबीएमबी के चेयरमैन श्री मनोज त्रिपाठी और जल शक्ति मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे। इस बैठक में हरियाणा को 8 दिनों के लिए 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने का निर्णय लिया गया, लेकिन पंजाब ने केवल 4,000 क्यूसेक पानी देने पर सहमति जताई।

पंजाब की पुलिस तैनाती पर विवाद

विवाद को और गंभीर बनाते हुए, पंजाब सरकार ने भाखड़ा हेडवर्क्स और लोहंड खुड्ड एस्केप चैनल पर पुलिस बल तैनात कर दिया और नंगल बांध के कंट्रोलिंग स्टेशन पर ताला लगा दिया। इसके खिलाफ हरियाणा के अधिवक्ता रविंदर सिंह ढुल ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें इसे संवैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के खिलाफ बताया गया।

हरियाणा की जनता से अपील

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दोनों राज्यों की जनता से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार अपने हिस्से का पानी लेने के लिए सभी कानूनी और कूटनीतिक कदम उठाएगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पंजाब द्वारा पानी की कटौती का असर दिल्ली की पेयजल आपूर्ति पर भी पड़ सकता है, क्योंकि हरियाणा के रास्ते दिल्ली को 500 क्यूसेक पानी जाता है।

हरियाणा और पंजाब के बीच जल विवाद ने दोनों राज्यों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। सर्वदलीय बैठक में प्रदर्शित एकजुटता और बीबीएमबी के फैसलों को लागू करने की मांग से स्पष्ट है कि हरियाणा अपनी जनता के हितों की रक्षा के लिए दृढ़ है। केंद्र सरकार और न्यायालय के हस्तक्षेप से इस विवाद के जल्द समाधान की उम्मीद की जा रही है।

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