उन्होंने कहा कि “मर्यादाओं में भले ही थोड़ी गिरावट आई हो, लेकिन हमारी संस्कृति और संस्कार इतने समृद्ध हैं कि लोकतंत्र की गरिमा और भविष्य दोनों ही सुरक्षित हैं।”
राज्यपाल बागडे ने अपने संबोधन में वर्तमान संसद और विधानसभाओं की कार्यप्रणाली पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले सदनों में विषयों पर गंभीर चर्चा होती थी, जबकि अब विषयांतर अधिक हो गए हैं। विधेयकों पर तथ्यों के आधार पर बहस की बजाय अब जनप्रतिनिधि रुचि नहीं लेते। उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभाएं विचारों का मंच हैं, लेकिन अब कटुता अधिक दिखाई देने लगी है।
राज्यपाल ने कहा कि राजस्थान विधानसभा देश की श्रेष्ठ विधानसभाओं में एक है, क्योंकि यहां के जनप्रतिनिधि संस्कारित और संयमित हैं। राजस्थान की जनता की आस्था देव धर्म में है और यही अनुशासन जनप्रतिनिधियों में परिलक्षित होता है।
राजस्थान विधानसभा देश में सर्वश्रेष्ठ — वासुदेव देवनानी
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा आज पूरे देश में उदाहरण बन चुकी है। उन्होंने बताया कि राज्य की 8 करोड़ जनता अब यूट्यूब चैनल के माध्यम से विधानसभा कार्यवाही को सीधे देख सकती है, जिससे पारदर्शिता और जनप्रतिनिधियों के व्यवहार में सुधार आया है।
देवनानी ने कहा कि विधानसभा अब पेपरलैस हो रही है। सभी विधायकों को आईपैड दिए गए हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत से अधिक विधायकों ने इसे अपनाया है। भविष्य में इसे 100 प्रतिशत किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अब सदनों में अध्ययन की प्रवृत्ति कम हो गई है, और पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे की आलोचना तक सीमित रह गए हैं। "मीडिया भी नकारात्मक बातों को अधिक तवज्जो देता है, जबकि सकारात्मक प्रयासों को भी सामने लाने की जरूरत है," देवनानी ने कहा।
उन्होंने विधायकों को प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि जीतने के बाद पार्टी स्तर पर आचरण और मर्यादा को लेकर सघन प्रशिक्षण जरूरी है।
अनुशासन और मर्यादा के लिए सख्ती जरूरी — देवनानी
श्री देवनानी ने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए पीठासीन अधिकारी को सख्त रुख अपनाना पड़ता है। उन्होंने कहा, "जैसे मां कभी-कभी कठोर होती है, वैसे ही आसन को भी सदस्यों को अनुशासित करने के लिए कठोरता दिखानी पड़ती है, लेकिन उसके पीछे भावना स्नेह की ही होती है।"
"संस्कार और संस्कृति से ही सुरक्षित रहेगा लोकतंत्र का भविष्य — राज्यपाल बागडे" | Photo Source : DIPR
पूर्व अध्यक्षों की बेबाक राय
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री कैलाश मेघवाल ने कहा कि विधेयकों पर गंभीर चर्चा की परंपरा में गिरावट चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि अब अध्ययनशीलता कम हो गई है और विधानसभा की लाइब्रेरी का उपयोग न के बराबर रह गया है।
पूर्व अध्यक्ष श्री शांतिलाल चपलोत ने लोकतंत्र की भारतीय परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान श्रीराम और ऋषभदेव के काल से ही लोकतांत्रिक प्रणाली की नींव भारत में रही है।
पूर्व अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने संविधान की प्रस्तावना का हवाला देते हुए कहा कि संसदीय लोकतंत्र की आत्मा उसी में निहित है। सभी सरकारों ने संविधान के मूल सिद्धांतों – सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय, पंथनिरपेक्षता और समाजवाद को केंद्र में रखकर कार्य किया है।
कार्यक्रम में शामिल हुए अनेक गणमान्य
इस अवसर पर उदयपुर शहर विधायक श्री ताराचंद जैन, ग्रामीण विधायक श्री फूलसिंह मीणा, कुलपति श्री कैलाश सोडाणी सहित अनेक प्रबुद्धजन, पूर्व जनप्रतिनिधि और शिक्षाविद् मौजूद रहे।