राज्यपाल बागडे ने अपने संबोधन में कहा कि मीडिया आज विश्वास, एकता और शांति बनाए रखने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाए रखने में देश के कई महानुभावों ने समय-समय पर अपना योगदान और बलिदान दिया है। यह मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह उन मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाए।
राज्यपाल ने भारत की सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। उन्होंने कहा, "हजारों वर्षों तक भारत की संस्कृति को नष्ट करने के अनेक प्रयास हुए, जिनमें मैकाले की शिक्षा प्रणाली भी एक था, परंतु हमारी सांस्कृतिक जड़ें इतनी गहरी थीं कि हम आज भी मजबूती से खड़े हैं।" उन्होंने उल्लेख किया कि जब विश्व में केवल छह विश्वविद्यालय थे, तब भारत के पास नालंदा और तक्षशिला जैसे उच्च शिक्षा केंद्र थे।
बागडे ने कहा कि भारत की विशेषता रही है कि उसने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया और सभी धर्मों को समान रूप से स्वीकार किया है। योग, अध्यात्म और सहिष्णुता भारत की देन हैं और आज भी हमारी संस्कृति विश्व को दिशा दे रही है।
मीडिया की भूमिका पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मीडिया के सभी माध्यम—प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल—समाज को जागरूक करने और शांति का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से राष्ट्रहित और शांति के लिए कार्य करने का आह्वान किया।
राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक प्रयासों के माध्यम से भारत आने वाले समय में वैश्विक मंच पर और भी मजबूत स्थान बनाएगा।