धनखड़ का कहना है कि वह छात्रों व युवाओं से जुड़े मुद्दों—जैसे बेरोजगारी, कृषि कानूनों पर MSP की गारंटी और शिक्षा सुधार—को लेकर गृह मंत्री को शांतिपूर्ण ज्ञापन सौंपना चाहते थे। लेकिन सुबह सूरज निकलने से पहले ही पुलिस ने भारी बल के साथ उन्हें उनके घर से गिरफ्तार कर लिया।
"सरकार लोकतांत्रिक आवाज़ों से डर रही है": धनखड़
गिरफ्तारी के बाद जारी अपने बयान में धनखड़ ने कहा:
"मैं ना कोई गुंडा हूँ, ना कोई अपराधी। एक आम नागरिक को इस तरह अरेस्ट करने का अधिकार सरकार को किसने दिया? अगर सरकार को लगता है कि इस तरह आवाज़ दबाई जा सकती है, तो वह गलतफहमी निकाल दे। हम डरने वाले नहीं हैं।"
धनखड़ ने आगे कहा कि हरियाणा सरकार की यह कार्रवाई यह साबित करती है कि वह युवाओं की आवाज़ सुनने को तैयार नहीं है।
उनके अनुसार, यह गिरफ्तारी NSA 1980 की धारा 5 के तहत की गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शासन सत्ता का उपयोग अब विरोधी स्वर दबाने के लिए किया जा रहा है।
लोकतंत्र पर हमला या कानून व्यवस्था का मामला?
धनखड़ की गिरफ्तारी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
_क्या शांतिपूर्ण ज्ञापन सौंपना अब अपराध है?
_क्या युवाओं के मुद्दे उठाने पर पुलिसिया दमन उचित है?
_क्या लोकतंत्र में अब मतभेद जताना देशद्रोह माना जाएगा?
छात्र नेता ने सवाल उठाते हुए कहा:
"अगर लोकतंत्र में आवाज़ उठाना, और घोटालों को उजागर करना अपराध है, तो हम यह अपराध बार-बार करेंगे।"
पार्टी का विरोध, समर्थन में छात्र समुदाय
AAP छात्र संगठन ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताते हुए कड़ी निंदा की है। संगठन ने कहा कि:
"यह कदम केवल दीपक धनखड़ नहीं, बल्कि पूरे छात्र समुदाय और हर उस युवा की आवाज़ को दबाने की कोशिश है जो राष्ट्रहित की बात करता है।"
विपक्षी दलों और छात्र संगठनों ने इस घटना को लेकर सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति पर सवाल उठाए हैं।
दीपक धनखड़ बोले: “यह गिरफ्तारी नहीं, लोकतंत्र की गिरफ्तारी है”
धनखड़ ने जोर देते हुए कहा कि:
"गिरफ्तारियाँ हमें रोक नहीं सकतीं, बल्कि और मज़बूत बनाएंगी। हम लोकतंत्र और छात्रों के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।"
मांगें व अपील
_युवाओं और छात्रों की बात सुनी जाए
_लोकतांत्रिक विरोध का सम्मान हो
_शांतिपूर्ण आंदोलनों को कुचलने की प्रवृत्ति बंद की जाए
आम आदमी पार्टी छात्र संगठन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर दमन का प्रयास जारी रहा, तो विरोध और तेज़ होगा