दो सत्रों में आयोजित हुआ कार्यक्रम :
कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम सत्र में काव्य-पाठ का आयोजन हुआ, जिसमें रोहतक, झज्जर, दादरी, कलानौर और आसपास के क्षेत्रों से आए ख्यातिलब्ध कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवियों में श्री कर्ण सिंह कर्ण, सत्यवीर निराला, सावित्री माही, जयसिंह जीत, अशोक मंगलेश, संदीप शर्मा 'बाँवरा', महेंद्र बिलोटिया, कृष्णलाल गिरधर, मनजीत निराला, संदीप रिठालिया, चन्द्रदत्त शर्मा, पवन मित्तल, पवन गहलोत, निधि राठी, राज ख्यालिया, बृज बाला गुप्ता, प्रज्ञा कपूर, अंजू कपूर गांधी, रमाकांता, रमन शर्मा और खेमचंद सहगल शामिल रहे। काव्य-पाठ का मुख्य विषय पहलगाम हमला और आतंकवाद रहा, जिसने देश की ज्वलंत समस्याओं को रचनात्मक ढंग से उजागर किया।
इस सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात शिक्षाविद् और साहित्यकार प्रो. नरेश मिश्र ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. पुष्पा और वरिष्ठ साहित्यकार अर्चना कोचर उपस्थित रहीं, जबकि मुख्य अतिथि आकाशवाणी के निदेशक श्री संजय बाली ने अपनी प्रेरक उपस्थिति दर्ज की।
साहित्यिक मंचों का सम्मान :
द्वितीय सत्र में रोहतक के 20 साहित्यिक मंचों और अन्य जिलों के 8 सहयोगी मंचों को अखिल भारतीय प्रेरणा साहित्य एवं शोध संस्थान, कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष श्री जयभगवान सिंगला के नेतृत्व में सम्मानित किया गया। मंचों को अंगवस्त्र, पुस्तकें और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। इस सत्र की अध्यक्षता बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. बाबूराम ने की। श्रीमती रेणु खुग्गर विशिष्ट अतिथि और श्री जयभगवान सिंगला मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
पुस्तक विमोचन और साहित्यिक चर्चा :
कार्यक्रम में तीन पुस्तकों का विमोचन हुआ: अर्चना कोचर का कविता संग्रह यदा-कदा, रमाकांता का बाल कविता संग्रह बाल मधुगान और आशा खत्री 'लता' का कुंडलिया संग्रह कब आएगी भोर। इन रचनाओं ने साहित्यिक मंच को और समृद्ध किया।
डॉ. बाबूराम ने अपने उद्बोधन में हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा हरियाणवी को भाषा का दर्जा दिलाने के प्रयासों की सराहना की और साहित्यकारों से हरियाणवी में साहित्य सृजन पर जोर देने का आह्वान किया। श्री जयभगवान सिंगला ने प्रज्ञा साहित्य मंच के अध्यक्ष डॉ. मधुकांत के साहित्यिक योगदान और रक्तदान जैसे सामाजिक मुद्दों पर उनके सृजन की प्रशंसा की।
आकाशवाणी और सामाजिक योगदान :
आकाशवाणी के निदेशक श्री संजय बाली ने साहित्य और संगीत से संबंधित आकाशवाणी के कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। रेडक्रॉस के सचिव श्री श्याम सुंदर और प्रो. जनार्दन शर्मा की उपस्थिति ने आयोजन को और गरिमामय बनाया।
कुशल मंच संचालन और आभार :
प्रथम सत्र का मंच संचालन आशा खत्री 'लता' ने और द्वितीय सत्र का संचालन प्रो. अंजना गर्ग ने कुशलतापूर्वक किया। कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. शामलाल कौशल ने सभी उपस्थित अतिथियों और साहित्य प्रेमियों का आभार व्यक्त किया।
साहित्य के प्रति समर्पण का प्रतीक
हरियाणा साहित्य अकादमी के सूर पुरस्कार से सम्मानित डॉ. मधुकांत ने इस आयोजन को साहित्य और सामाजिक चेतना के प्रति समर्पण का प्रतीक बताया। यह साहित्यिक महाकुंभ न केवल रोहतक, बल्कि पूरे हरियाणा के साहित्यिक परिदृश्य में एक मील का पत्थर साबित हुआ।