इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लगभग दो महीने पहले सोनम वांगचुक और उनके एक अन्य संगठन हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (एचआईएएल) के खिलाफ कथित एफसीआरए नियमों के उल्लंघन की प्रारंभिक जांच शुरू की थी। सीबीआई ने पिछले हफ्ते इन संगठनों का दौरा किया और 2022 से 2024 के बीच प्राप्त विदेशी धन का ब्योरा मांगा। हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
गृह मंत्रालय ने लेह में हुई हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। मंत्रालय का कहना है कि वांगचुक के ‘भड़काऊ बयानों’ के कारण भीड़ उकसाई गई, जिसके परिणामस्वरूप हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। इस हिंसा और पुलिस कार्रवाई में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई, और लेह में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लागू किए गए।
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “कुछ लोग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार पर चल रही बातचीत में प्रगति से खुश नहीं हैं और इसे बाधित कर रहे हैं। सोनम वांगचुक की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और कुछ लोगों की स्वार्थी राजनीति के कारण लद्दाख के लोग और युवा भारी कीमत चुका रहे हैं।”
सोनम वांगचुक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार उन्हें जानबूझकर निशाना बना रही है। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सीबीआई ने 10 दिन पहले उनके संगठनों से कथित एफसीआरए उल्लंघन के बारे में पूछताछ की थी। वांगचुक के अनुसार, शिकायत में जिन उल्लंघनों का जिक्र है, वे सेवा समझौतों से संबंधित हैं, जिन पर सरकार को विधिवत कर चुकाया गया था। ये समझौते संयुक्त राष्ट्र, एक स्विस विश्वविद्यालय और एक इतालवी संगठन के साथ भारत से ज्ञान निर्यात करने से जुड़े थे।
वांगचुक ने कहा, “हम विदेशी धन पर निर्भर नहीं हैं। हम अपने ज्ञान का निर्यात करते हैं और राजस्व कमाते हैं। सरकार ने इसे विदेशी योगदान माना है। हमारे पास सभी दस्तावेज हैं, और यह कार्रवाई हमें निशाना बनाने का प्रयास है।”
उन्होंने यह भी बताया कि चार साल पुरानी एक शिकायत, जिसमें मजदूरों को वेतन न देने का आरोप था, को दोबारा खोला गया है। वांगचुक ने कहा, “लद्दाख में कोई टैक्स नहीं है, फिर भी मैं स्वेच्छा से टैक्स देता हूं, और मुझे समन मिल रहे हैं। हमें हर तरफ से निशाना बनाया जा रहा है।”
सोनम वांगचुक, जो पर्यावरण संरक्षण और नवाचार के क्षेत्र में जाने जाते हैं, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर 15 दिनों तक भूख हड़ताल पर थे। लेह हिंसा के बाद उन्होंने यह हड़ताल समाप्त कर दी। उन्होंने लद्दाख के युवाओं से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन जारी रखने और पिछले पांच साल से चल रही मांगों को पटरी से न उतारने की अपील की।
छठी अनुसूची भारत के संविधान का हिस्सा है, जो कुछ आदिवासी क्षेत्रों को विशेष स्वायत्तता प्रदान करती है। लद्दाख के लोग इस अनुसूची के तहत अपने क्षेत्र को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी संस्कृति, पर्यावरण और जमीन की रक्षा हो सके।
यह मामला सरकार और सोनम वांगचुक के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। एक तरफ सरकार वांगचुक को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीं वांगचुक इसे अपने खिलाफ साजिश बता रहे हैं। इस घटनाक्रम पर लद्दाख के लोग और देशभर में पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ता नजर बनाए हुए हैं।