डॉ. विकास सैनी ने दांतों की देखभाल और उनके महत्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हमें सुबह-शाम दांतों को ब्रश करना चाहिए। छोटे बच्चों को दूध पिलाने के बाद उनके दांत साफ करने चाहिए। प्रसव के बाद माताओं को भी दांतों की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि दांतों के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
डॉ. सैनी ने बताया कि समय-समय पर दांतों की जांच करवानी चाहिए। अगर दांतों में कीड़ा लग जाए, झनझनाहट हो, या ठंडा-गर्म लगे, तो तुरंत इलाज करवाना जरूरी है। ब्रश के रेशे खराब होने पर या हर दो महीने बाद ब्रश बदल लेना चाहिए। ज्यादा जोर से या लंबे समय तक ब्रश करने से दांतों का इनेमल खराब हो सकता है।
डॉ. सुधीर ने कहा कि दांतों की नियमित जांच और सही समय पर इलाज बहुत जरूरी है। अगर दांत निकालना पड़े, तो उसे तुरंत कृत्रिम दांतों से बदल लेना चाहिए। इससे चेहरा और खाने-चबाने की प्रक्रिया प्रभावित नहीं होती। सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में कम लागत में जबड़ा लगाने की सुविधा उपलब्ध है। अगर दांत में कीड़ा समय पर पकड़ लिया जाए, तो उसे बचाया जा सकता है। दंत विभाग में आधुनिक मशीनों से दांतों का इलाज संभव है।
उन्होंने बच्चों को चिपकने वाले पदार्थ जैसे चॉकलेट, टॉफी, च्युइंग गम और सोडा युक्त पेय पदार्थों का सेवन सावधानी से करने की सलाह दी। ऐसी चीजें खाने के बाद मुंह में कुल्ला करना चाहिए। साथ ही, गुटखा और तंबाकू के सेवन से मुंह का कैंसर होने का खतरा रहता है।
सेमिनार में मरीजों के सवालों के जवाब भी दिए गए। डॉ. उज्ज्वल ने आयोजन के लिए डॉ. विकास सैनी, पूर्व मुख्य नेत्र अधिकारी दिनेश शर्मा, समाजसेवी जगत सिंह गिल और दंत विभाग के जिला प्रभारी डॉ. अतुल शर्मा का धन्यवाद किया। सेमिनार में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से कृष्णा गुलाटी, धर्मवीर शर्मा, चांदनी, प्रियंका, ममता, हेमलता, मनीषा और पूजा ने सहयोग दिया। सभी उपस्थित लोगों को दांतों की सुरक्षा से संबंधित पंपलेट भी वितरित किए गए।
डॉ. सैनी ने बताया कि इस पखवाड़े के दौरान सभी शिक्षण संस्थानों में इस तरह के सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं ताकि लोगों को दांतों की देखभाल और सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जा सके। उन्होंने सभी से इस जानकारी का पालन करने की अपील की।