सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां श्रीमती मंजू राजपाल ने बताया कि इन आउटलेट्स का उद्देश्य न केवल श्री अन्न को प्रचलन में लाना है, बल्कि सहकारी संस्थाओं और राजीविका की महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को बाजार तक पहुंचाकर स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ाना है। उल्लेखनीय है कि 17 जुलाई को केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा सहकार एवं रोजगार उत्सव के अवसर पर 64 मिलेट आउटलेट्स का शुभारंभ किया गया था।
श्रीमती राजपाल ने बताया कि जहां सितम्बर 2025 तक 34 आउटलेट्स खोलने का लक्ष्य तय किया गया था, वहीं जुलाई 2025 के अंत तक ही 74 आउटलेट्स खोले जा चुके हैं। इनमें से 56 आउटलेट्स जिला सहकारी उपभोक्ता भण्डारों द्वारा, 4 कॉनफेड द्वारा, 1 महिला उपभोक्ता भण्डार, 12 क्रय-विक्रय सहकारी समितियों और 1 ग्राम सेवा सहकारी समिति द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की मंशा और राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुरूप, इस योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। प्रथम चरण में जिला उपभोक्ता भण्डारों एवं कॉनफेड द्वारा आउटलेट्स खोले गए, जबकि द्वितीय चरण में विभिन्न जिलों की क्रय-विक्रय समितियों, ग्राम सेवा सहकारी समितियों तथा नवगठित 8 जिलों के भण्डारों को भी शामिल किया गया है।
हाल ही में ब्यावर, चित्तौड़गढ़, बड़ी सादड़ी, कपासन, कुम्हेर, टोंक, निवाई, देवली, उनियारा, टोडारायसिंह, मालपुरा और डूंगरपुर की क्रय-विक्रय सहकारी समितियों ने मिलेट विक्रय केन्द्र शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा अजमेर जिले की परबतपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति लि., माखुपुरा ने भी एक आउटलेट की शुरुआत की है।
राजस्थान की खाद्य संस्कृति में सदियों से शामिल रहे श्री अन्न—जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कोदो, कांगनी आदि न केवल इस भू-भाग की जलवायु के अनुकूल हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाए जाने के बाद से इन अनाजों को पुनः लोकप्रियता मिल रही है।
इन आउटलेट्स पर अब आमजन को श्री अन्न के कच्चे और प्रसंस्कृत दोनों प्रकार के उत्पाद उचित मूल्य पर उपलब्ध हो रहे हैं। रागी और ओट्स से बनी कुकीज, मिलेट मिक्स, रोस्टेड ज्वार-बाजरा, फ्लेक्स, मिलेट पास्ता, नूडल्स, पोहा, सूजी आदि लोगों को खासे लुभा रहे हैं। रागी और ओट्स कुकीज की मांग सबसे अधिक बताई जा रही है।
सहकारी संस्थाओं के इस प्रयास ने एक ओर जहां प्रदेशवासियों को स्वस्थ विकल्प दिए हैं, वहीं दूसरी ओर महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान की है।