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Sunday, June 8, 2025

24JT News Desk / Udaipur /June 8, 2025

जल संसाधन मंत्री श्री सुरेश रावत ने शुक्रवार को देवास परियोजना के तृतीय और चतुर्थ चरणों का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि परियोजना के प्रस्तावित कार्यों को समयबद्ध ढंग से पूरा कर धरातल पर क्रियान्वयन प्रारंभ किया जाए।

"जल प्रबंधन को लेकर सरकार प्रतिबद्ध, देवास परियोजना के तृतीय व चतुर्थ चरण को जल्द मिलेगा मूर्त रूप: जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत" | Photo Source : DIPR
राजस्थान / जल प्रबंधन को लेकर सरकार प्रतिबद्ध, देवास परियोजना के तृतीय व चतुर्थ चरण को जल्द मिलेगा मूर्त रूप: जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत

श्री रावत ने नाथियाथल गांव स्थित प्रस्तावित बांध निर्माण स्थल का जायजा लिया। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से परियोजना की संपूर्ण जानकारी ली और कार्यों की प्रगति का अवलोकन किया। अधिकारियों ने उन्हें बताया कि इस प्रस्तावित बांध का कैचमेंट एरिया 79.06 वर्ग किमी और भराव क्षमता 70 एमसीएफटी होगी, जबकि 1330 क्यूबिक मीटर/सेकंड की अतिरिक्त जल निकासी क्षमता प्रस्तावित है।

मंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार जल संकट से निपटने और जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन को लेकर सजग है। उन्होंने कहा, “रामजल सेतु परियोजना, यमुना जल समझौता और देवास परियोजना इस दिशा में सरकार की संजीदगी के प्रमाण हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि तृतीय और चतुर्थ चरण के प्री-विकास कार्यों को शीघ्र पूरा कर निर्माण कार्य आरंभ किया जाएगा।

निरीक्षण के दौरान उदयपुर ग्रामीण विधायक श्री फूलसिंह मीणा, समाजसेवी श्री गजपाल सिंह, साथ ही डीबीएल और मेगा इंजीनियरिंग कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने किया था परियोजना का शिलान्यास


गौरतलब है कि देवास परियोजना उदयपुर शहर की पेयजल आपूर्ति और पिछोला तथा फतेहसागर झीलों में जल स्तर बनाए रखने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

देवास प्रथम चरण का निर्माण वर्ष 1973-74 में हुआ था।

देवास द्वितीय चरण 2011 में प्रारंभ हुआ, जिसमें आकोदड़ा बांध का निर्माण हुआ।

देवास तृतीय और चतुर्थ चरण का शिलान्यास 1 मार्च 2024 को मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा द्वारा किया गया।

इस परियोजना के तहत लगभग ₹1690 करोड़ की लागत से दो नए बांध (देवास तृतीय - नाथियाथल गांव, देवास चतुर्थ - अंबावा गांव) और सुरंगों का निर्माण प्रस्तावित है। इसका उद्देश्य उदयपुर की झीलों में करीब 1000 मिलियन घन फीट जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

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