“शिक्षा जीवन को गढ़ने का साधन है” – इस बात पर जोर देते हुए राज्यपाल बागडे ने निजी शिक्षण संस्थानों से आह्वान किया कि वे गुणात्मक शिक्षा के संवाहक बनें और राष्ट्रोत्थान में सहभागी भूमिका निभाएं।
राज्यपाल ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान का अग्रदूत रहा है। उन्होंने कहा, "जब पश्चिमी दुनिया विज्ञान की आधारशिला रख रही थी, तब भारत में भास्कराचार्य गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत प्रस्तुत कर चुके थे।" उन्होंने कहा कि दशमलव पद्धति भारत की देन है, जिससे दुनिया को गणना करना आया।
राज्यपाल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को भारतीय मूल्यों और संस्कृति से जुड़ा बताते हुए कहा कि यह नीति विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध करेगी। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे केवल ज्ञानवर्धक ही नहीं, बल्कि आदर्श आचरण का भी प्रदर्शन करें।
"अपेक्स यूनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह सम्पन्न" | Photo Source : DIPR
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित नहीं, बल्कि समाजोत्थान का माध्यम होनी चाहिए। उन्होंने गरीब, वंचित और प्रतिभाशाली छात्रों के लिए उच्च शिक्षा में बेहतर अवसर उपलब्ध कराने हेतु निजी क्षेत्र की भूमिका को अहम बताया।
उन्होंने संजय शिक्षा समिति द्वारा संचालित संस्थाओं में वंचित बच्चों को दी जा रही शिक्षा सेवाओं की सराहना की और कहा कि यही सच्चे अर्थों में सेवा है।
राज्यपाल बागडे ने कहा कि कॉपी कर पास होना या रटना शिक्षा नहीं है। शिक्षा का वास्तविक अर्थ है – समझकर अपनी बात रखना और विवेकशील बनना। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों की सीखने की स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी गई है।
अपने संबोधन में उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों को भारतीय सेना के शौर्य गाथाओं और देश के महापुरुषों से प्रेरित पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए, ताकि युवा वर्ग में राष्ट्र गौरव और सेवा भावना का संचार हो।
समारोह के दौरान राज्यपाल ने विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों को डिग्रियां और पदक प्रदान किए।