मोबाइल डेटा से मिले पुख्ता सबूत
लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार दलाल निकांत जैन के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच कराई, जिसमें कई चौंकाने वाले सबूत सामने आए हैं। पुलिस ने निकांत जैन के दोनों मोबाइल फोन से कॉल डिटेल, चैट और डिलीट किए गए डेटा को रिकवर किया है। इन सबूतों के आधार पर यह पुष्टि हुई है कि निकांत जैन, अभिषेक प्रकाश के दो बेहद करीबी लोगों के संपर्क में था और इस भ्रष्टाचार में उनकी संलिप्तता हो सकती है। पुलिस अब इन दोनों करीबियों को एफआईआर में नामजद करने की तैयारी कर रही है।
निकांत जैन से होगी कड़ी पूछताछ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निकांत जैन को पहले ही लखनऊ के गोमती नगर थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया जा चुका है। अदालत ने उसकी न्यायिक हिरासत 7 अप्रैल तक बढ़ा दी है। अब पुलिस निकांत जैन से और गहन पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि अभिषेक प्रकाश के इन करीबियों की इस भ्रष्टाचार में क्या भूमिका थी। सूत्रों के मुताबिक, निकांत जैन ने पूछताछ के दौरान कबूल किया है कि वह अभिषेक प्रकाश के निर्देश पर ही 5% कमीशन की मांग कर रहा था।
अभिषेक प्रकाश की बढ़ती मुश्किलें
गौरतलब है कि आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वाली कंपनी SAEL सोलर P6 प्राइवेट लिमिटेड से 5% कमीशन मांगने के आरोप में निलंबित किया गया था। कंपनी के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता ने इस संबंध में शिकायत की थी कि अभिषेक प्रकाश ने उन्हें निकांत जैन से संपर्क करने को कहा और कमीशन देने की शर्त पर ही प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की बात कही थी। मुख्यमंत्री **योगी आदित्यनाथ** ने इस मामले में तत्काल सख्त कार्रवाई करते हुए अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया था।
ईडी ने भी शुरू की जांच
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच शुरू कर दी है। ईडी ने लखनऊ पुलिस से एफआईआर की कॉपी, निकांत जैन के बैंक खातों और जब्त किए गए दस्तावेजों की जानकारी मांगी है। इसके अलावा, ईडी निकांत और उसके भाई सुकांत जैन की 12 कंपनियों की भी जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि ईडी जल्द ही निकांत को कस्टडी में लेकर पूछताछ कर सकती है और इस मामले में अभिषेक प्रकाश से भी बयान दर्ज करने के लिए बुलाया जा सकता है।
कोर्ट का सख्त रुख
भ्रष्टाचार अधिनियम की विशेष अदालत ने लखनऊ पुलिस को निर्देश दिया है कि वह एफआईआर में कमीशन मांगने वाले वरिष्ठ अधिकारी का नाम स्पष्ट करे। अब तक एफआईआर में अभिषेक प्रकाश का नाम दर्ज नहीं किया गया था, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस को उनका नाम उजागर करना होगा। इसके साथ ही, कोर्ट ने पुलिस को अन्य संलिप्त अधिकारियों के नाम भी उजागर करने के निर्देश दिए हैं।
डिफेंस कॉरिडोर घोटाले में भी फंसे अभिषेक प्रकाश
अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हो रही हैं। डिफेंस कॉरिडोर भूमि अधिग्रहण घोटाले में भी उनकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। राजस्व परिषद की 83 पेज की जांच रिपोर्ट में अभिषेक प्रकाश सहित 16 अन्य अधिकारियों को दोषी पाया गया है। इस मामले में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्रवाई की मंजूरी दे दी है।
निकांत जैन का आपराधिक इतिहास
जानकारी के मुताबिक, निकांत जैन मूल रूप से मेरठ का रहने वाला है और उसके पिता सुधीर कुमार जैन एक बड़े ठेकेदार थे। निकांत ने अपने पिता के कारोबार को संभाला और भ्रष्ट अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर कई घोटालों को अंजाम दिया। उसके खिलाफ लखनऊ, मेरठ और एटा में पहले से ही कई मुकदमे दर्ज हैं। निकांत 12 कंपनियों का मालिक है, जिनमें से 6 अभी भी सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर सख्ती
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ **'जीरो टॉलरेंस'** की नीति अपनाई है। इस नीति के तहत ही अभिषेक प्रकाश को निलंबित किया गया और उनके करीबी निकांत जैन को गिरफ्तार किया गया। अब अभिषेक के दो अन्य करीबियों के नामजद होने से यह साफ हो गया है कि सरकार इस मामले की तह तक जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
क्या होगा आगे?
यह मामला उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान के तहत सरकार की सख्त कार्रवाई को दर्शाता है। इस जांच से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस और ईडी की कार्रवाई के चलते आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।