रणथंभौर, सरिस्का और जवांई बांध जैसे लोकप्रिय स्थलों की तर्ज पर अब अजमेर की गंगा-भैरव घाटी को भी पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। यहां सैलानी तेंदुओं की झलक पाने के साथ-साथ घाटी में ट्रैकिंग, ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन और प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठा सकेंगे। सम्राट पृथ्वीराज चौहान कालीन अस्तबल, सैनिक छावनियों और पुरातात्विक स्थलों को भी इस योजना में शामिल किया गया है।
शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने गंगा-भैरव घाटी में प्रस्तावित लेपर्ड सफारी परियोजना का मौके पर निरीक्षण किया। उनके साथ मुख्य वन संरक्षक श्रीमती ख्याति माथुर सहित वन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
देवनानी ने बताया कि इस परियोजना पर करीब 19 करोड़ रुपये की लागत अनुमानित है, जिसमें प्रथम चरण में 6 करोड़ रुपये की लागत से कार्य शुरू किया जाएगा। परियोजना के तहत 7.5 किमी पुराने ट्रैक का नवीनीकरण और 11.5 किमी नए ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। इससे मंदिर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को भी सुविधा मिलेगी।
स्थानीय ग्रामीणों को मिलेगा रोज़गार:
देवनानी ने कहा कि इस सफारी से न केवल अजमेर को पर्यावरणीय पर्यटन के नक्शे पर एक नई पहचान मिलेगी, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार और आय के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।
पर्यटन विकास की नई योजनाएं:
उन्होंने बताया कि अजमेर के लिए लगभग 40 पर्यटन परियोजनाएं प्रस्तावित की गई हैं, जिनमें से अधिकतर को वित्तीय स्वीकृति मिल चुकी है। आने वाले समय में शहर में साइंस पार्क, वरुणसागर सौंदर्यकरण, अजमेर एंट्रेंस प्लाजा जैसे प्रोजेक्ट्स भी मूर्त रूप लेंगे।
देवनानी ने कहा, "अजमेर शिक्षा नगरी के रूप में पहले ही प्रसिद्ध है। अब हम इसे पर्यावरणीय और सांस्कृतिक पर्यटन के एक मजबूत केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं।"