आग लगने की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर बचाव कार्य शुरू किया। दूसरी मंजिल से शुरू हुई आग ने तेजी से फैलकर पूरे फ्लोर को धुएं से भर दिया। अस्पताल की बिजली आपूर्ति तुरंत काट दी गई, जिससे अंधेरा और धुआं मिलकर स्थिति को और भयावह बना रहे थे। इसके बावजूद, डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों ने साहस का परिचय देते हुए मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला। विशेष रूप से गंभीर स्थिति वाले मरीजों और नवजात शिशुओं को प्राथमिकता दी गई।
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बचाव अभियान के दौरान 225 मरीजों को लखनऊ के अन्य अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया। इनमें से गंभीर मरीजों को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल और लोहिया अस्पताल में भेजा गया। सिविल अस्पताल में 24 मरीज पहुंचे, जिनमें से दो को गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती किया गया। तीन मरीजों को धुएं के कारण बेहोशी की शिकायत थी, जिन्हें KGMU के ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए भेजा गया। बाकी मरीजों की स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
प्रारंभिक जांच में आग का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है। आग पर कई घंटों की मशक्कत के बाद काबू पा लिया गया और मंगलवार सुबह तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में थी। धुएं को हटाने के लिए कूलिंग ऑपरेशन भी चलाया गया। इस बीच, अस्पताल में मंगलवार सुबह से आउट पेशेंट विभाग (OPD) सेवाएं फिर से शुरू कर दी गईं, ताकि मरीजों को इलाज में किसी तरह की परेशानी न हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना का तुरंत संज्ञान लिया और अधिकारियों को हर प्रभावित मरीज को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जो स्वास्थ्य विभाग भी संभालते हैं, देर रात अस्पताल पहुंचे और बचाव कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि अस्पताल कर्मचारियों और दमकल विभाग की त्वरित कार्रवाई के कारण कोई बड़ा हादसा टल गया। पाठक ने यह भी बताया कि डेढ़ महीने पहले अस्पताल में अग्नि सुरक्षा के लिए मॉक ड्रिल की गई थी, जिसका इस आपात स्थिति में बड़ा लाभ मिला।
लखनऊ की मेयर सुषमा खरकवाल, पुलिस आयुक्त अमरेंद्र सिंह सेंगर, जिला मजिस्ट्रेट विशाख जी और डिविजनल कमिश्नर रोशन जैकब सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद रहे और राहत कार्यों की निगरानी की। अधिकारियों ने बताया कि सभी मरीजों को सुरक्षित स्थानांतरित कर दिया गया है और उनकी चिकित्सा जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
इस घटना ने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों ने बताया कि आग की लपटें और धुआं देखकर कुछ देर के लिए सब डर गए थे, लेकिन कर्मचारियों की सूझबूझ ने स्थिति को संभाल लिया। कुछ परिजनों ने यह भी मांग की कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा उपाय किए जाएं।
प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है, जो आग के कारणों और सुरक्षा खामियों का पता लगाएगी। समिति की रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक करने का आश्वासन दिया गया है। फिलहाल, लोकबंधु अस्पताल में स्थिति सामान्य हो रही है, लेकिन इस अग्निकांड ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए कई सबक छोड़ दिए हैं। सभी की नजरें अब जांच के नतीजों और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर टिकी हैं।