मंत्री खींवसर ने सोमवार को सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज सभागार में हाल ही में निरीक्षण कर लौटी 33 टीमों से चर्चा करते हुए कहा, “स्वास्थ्य एक संवेदनशील विषय है, इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी अधिकारी अपने अधीनस्थ अस्पतालों का नियमित निरीक्षण करें और जो भी खामियां सामने आएं, उनका समयबद्ध निस्तारण करें।”
उन्होंने अस्पतालों को ‘पेशेंट फ्रेंडली’ बनाए जाने पर जोर देते हुए कहा कि अस्पतालों का रख-रखाव अपने घर की तरह किया जाए और मरीजों की देखभाल परिवार के सदस्य की तरह की जाए। "रोगी को नया जीवन देना सबसे बड़ा पुण्य है," मंत्री ने भावुक होते हुए कहा।
150 अधिकारियों की 33 टीमों ने किया निरीक्षण, तैयार की रिपोर्ट
चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चिकित्सा मंत्री खींवसर की पहल पर शुक्रवार को प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों का सघन निरीक्षण किया गया। इस दौरान स्वच्छता, भवन मरम्मत, बिजली-पानी की उपलब्धता, चिकित्सा उपकरणों की स्थिति और मरीजों को दी जा रही सुविधाओं का आकलन किया गया।
निरीक्षण के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली गई है और अब अस्पतालों में जल्द ही सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे की ओर कदम
चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान ने बताया कि प्रदेश के सभी मेडिकल संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्वच्छता और आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की दिशा में काम किया जा रहा है। बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण, अग्निशमन उपकरणों की कार्यशीलता, बिजली-पानी की नियमित आपूर्ति जैसे बिंदुओं की विशेष जांच की गई।
इंटर-डिपार्टमेंटल समन्वय से हो रहा सुधार
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के साथ एमओयू करते हुए अस्पतालों की मरम्मत और अनुरक्षण कार्यों की जिम्मेदारी उसे सौंप दी है। अब प्रत्येक अस्पताल में 24 घंटे कार्यरत पीडब्ल्यूडी चौकी स्थापित की जा रही है। वहीं, शौचालयों की सफाई का कार्य सुलभ इंटरनेशनल को सौंपा गया है और अस्पताल सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने हेतु CISF को जिम्मेदारी देने की प्रक्रिया भी जारी है।
44 करोड़ की मरम्मत स्वीकृति, 29 अस्पतालों में तैयारियां पूरी
अतिरिक्त निदेशक नरेश गोयल ने बताया कि 81 अस्पतालों में से 29 में पीडब्ल्यूडी चौकियों के लिए स्थान आवंटित कर दिया गया है। मरम्मत कार्यों के लिए विभाग ने करीब 44 करोड़ रुपये की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति पहले ही जारी कर दी है। शेष कार्यों के लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है।